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मंडला: RTO उडऩ दस्ते पर मारपीट और मोबाइल तोड़ने का आरोप, चालकों ने हाईवे जाम किया

एनएच 30 पर आरटीओ उडऩ दस्ता और ट्रक चालक के बीच विवाद: पांडुतला चेक पोस्ट का मामला

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मंडला MP हेमंत नायक महाराजपुर

एनएच 30 पर आरटीओ उडऩ दस्ता और ट्रक चालक के बीच विवाद: पांडुतला चेक पोस्ट का मामला

मंडला, मध्यप्रदेश:–मध्यप्रदेश सरकार द्वारा परिवहन चेक पोस्ट नाके बंद किए जाने के बाद, आरटीओ का उडऩ दस्ता अब सीधे वाहनों की जांच कर रहा है। मंडला जिले की सीमा से लगे बालाघाट जिले के पांडुतला में आरटीओ का उडऩ दस्ता अक्सर मौजूद रहता है, लेकिन उन पर चालकों के साथ अभद्र व्यवहार करने के आरोप लगते रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को एक ट्रक चालक और आरटीओ कर्मचारी के बीच विवाद हो गया, जिसके बाद ट्रक चालकों ने एनएच 30 पर जाम लगा दिया। हालांकि, पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया।

  • विवाद का कारण और चालकों के आरोप

ट्रक चालक का आरोप था कि आरटीओ कर्मचारी ने उसका मोबाइल तोड़ दिया। बाद में मोबाइल के लिए चालक को राशि भी दी गई, जिसके कारण पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई।

बताया गया कि पांडुतला में आरटीओ की टीम के साथ कथित तौर पर सिविल ड्रेस में कुछ लोग भारी वाहनों को रोककर अनावश्यक रूप से पैसे की मांग कर रहे थे। चालकों का आरोप है कि विरोध करने पर चालक से मारपीट की गई और मोबाइल छीनकर तोड़ दिया गया, जिससे आक्रोश बढ़ गया। आक्रोशित चालकों ने हाईवे पर जाम लगा दिया, और इस बीच भारी भीड़ उमड़ पड़ी।

पुलिस का हस्तक्षेप और समझौता

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मामला शांत कराया, जिसके बाद हाईवे से जाम हटवाया जा सका। मोतीनाला थाना प्रभारी हेमंत बवरैया ने बताया कि रविवार को ट्रक चालक और फ्लाइंग स्क्वॉड के कर्मचारियों के बीच विवाद हुआ था, जिसके बाद चालकों ने हाईवे जाम कर दिया था। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया और किसी ने भी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

इस संबंध में आरटीओ विमलेश गुप्ता से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

  • अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का बयान

शिवकुमार वर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने इस घटना पर कहा, “मामला संज्ञान में आया है। किसी भी पक्ष ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई है। बिछिया एसडीओपी को जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।”

यह घटना एक बार फिर आरटीओ उडऩ दस्ते द्वारा किए जा रहे व्यवहार और पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। क्या आरटीओ कर्मचारियों के साथ सिविल ड्रेस में मौजूद लोग अनाधिकृत रूप से वसूली कर रहे थे, और क्या इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे, यह देखने वाली बात होगी।

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